ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन कम करने एवं जलवायु परिवर्तन के संबंध में आर आई एन एल-वी एस पी द्वारा किये जा रहे उपाय एवं प्रयास | |||
आर आई एन एल प्रतिवर्ष विश्व इस्पात संघ (डब्ल्यू एस ए) के CO2 डेटा कलेक्शन कार्यक्रम में भाग लेता है और संगठन को विश्व इस्पात संघ द्वारा क्लाइमेट एक्शन मेंबर प्रमाणपत्र प्राप्त है|
आर आई एन एल इस्पात उत्पादन प्रक्रिया के दौरान प्रत्येक स्तर पर निम्नलिखित उपायों के माध्यम से कार्बन डाईआक्साइड उत्सर्जन को कम करने हेतु प्रयास करता है:
आर आई एन एल ने जापान की ग्रीन एड योजना नीडो के तहत सिंटर मशीन 1 व 2 में सिंटर कूलर व्यर्थ ऊष्मा पुन:प्राप्ति प्रणाली के माध्यम से 20.6 मेगावाट व्यर्थ ऊष्मा पुन:प्राप्ति परियोजना का कार्यान्वयन किया| यह भारतीय इस्पात उद्योग में इस प्रकार की पहली परियोजना है| परियोजना का 31.07.2014 को प्रवर्तन किया गया और इस परियोजना से अवगत कराने हेतु कार्यक्रम आयोजित किया गया|
पोर्टलैंड पुजलोना सीमेंट उत्पादन में क्लिंकर की जगह धमन भट्ठी ग्रेनुलेटेड स्लैग के उपयोग से हरित गैस उत्सर्जन में कमी आती है| सीमेंट उत्पादन में धमन भट्ठी स्लैग के उपयोग से क्लिंकर के उत्पादन हेतु आवश्यक ऊर्जा में कमी आती है, जिससे कार्बन डाईआक्साइड उत्सर्जन में भी 0.55 टन तक कमी आती है|
आर आई एन एल ने प्रतिटन स्थापित क्षमता हेतु एक वृक्ष लगाने का महत्वकांक्षी लक्ष्य रखा है| आर आई एन एल ने व्यापक पौधरोपण के माध्यम से अब तक लगभग 5.18 मिलियन पौधरोपण किया है| व्यापक एवं बृहद पौधरोपण से कार्बन डाईआक्साइड उत्सर्जन में कमी आई| आर आई एन एल ने हरित विशाखा अभियान में भाग लेकर बृहद पौधरोपण अभियान के तहत लगभग 2.31 लाख पौधे लगाये| हर टन के लिए 1 वृक्ष |