लौह का पूर्व इतिहास : ऋग्वेद में अयास ( RV 2.20.8) का उल्लेख मिलता है। संस्कृत शब्द अयास से पीतल, तांबा अथवा लौह जैसे धातु अभिप्रेत हैं। इतिहास से पता चलता है कि आदम से पूर्व सात पीढ़ियाँ ‘तांबे व लौह के शिल्पी एवं शिक्षक’ थीं।
विभिन्न सभ्यताओं द्वारा लौह का उपयोग: लगभग 4000 बी सी के सुमेरियन एवं ईजिप्टवासी उल्कापिंड से प्राप्त लौह से भाले व आभूषण बनाते थे। लौह युग 2 मिलीनियम बी सी के दौरान शुरु हुआ; दिल्ली के मेहरौली का लौह स्तंभ इसका प्रमाण है, जिसमें जंग नहीं लगता।
विभिन्न सभ्यताओं द्वारा लौह का उपयोग: भारत में सर्वप्रथम 300 बी सी एवं 500 ए डी के बीच वूट्ज इस्पात का उल्लेख मिलता है; दमिश्क के तलवार अपनी दृढ़ता एवं धार के लिए पहचाने जाते थे।
प्रमुख इस्पात उत्पादन प्रक्रियाएँ: बेसेमर प्रक्रिया, ओपेन हर्थ प्रक्रिया, इलेक्ट्रिक ऑर्क प्रक्रिया, ऑक्सीजन इस्पात उत्पादन प्रक्रिया एवं मिडरेक्स प्रक्रिया